दिवाली के दिन पूजन करने का शुभ मुहूर्त और गणेश-लक्ष्मी पूजन करने की सही विधि जानने के लिए ये लेख पूरा पढ़ें।
हिंदुओं में दिवाली के त्यौहार को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और बड़ा माना गया है। इस दिन साल की सबसे बड़ी लक्ष्मी पूजा होती है। 5 दिन चलने वाला यह त्यौहार हर घर में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस बार दिवाली का त्यौहार 14 नवंबर को पड़ रहा है। कार्तिक माह की अमावस्या के दिन पड़ने वाले इस त्यौहार पर यदि शुभ मुहूर्त में गणेश लक्ष्मी पूजन किया जाए तो इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
आचार्य विनोद शास्त्री जी के अनुसार’ ब्रह्मपुराण के अनुसार महालक्ष्मी पूजन के लिए आधी रात तक रहने वाली अमावस्या को श्रेष्ठ माना गया है। यदि अमावस्या आधी रात तक नहीं होती है तब प्रदोष व्यापिनी तिथि में लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।’

शुभ मुहूर्त
पंडित जी की मानें तो इस वर्ष दिवाली पर लक्ष्मी पूजन करने का सबसे अच्छा मुहूर्त शाम 17:55 बजे से 20:25 बजे तक है। इस बीच लक्ष्मी पूजन सभी को विधि-विधान के साथ कर लेना चाहिए।
दिवाली पूजन विधि
चलिए जानते हैं दिवाली का पूजन विधि-विधान के साथ कैसे करना चाहिए-
- दिवाली से एक दिन पहले ही पूजन स्थल को साफ करके पूजा की सभी सामग्री को एकत्र करके वहां रख देना चाहिए। इतना ही नहीं, एक दिन पहले ही श्री गणेश और माता लक्ष्मी की प्रतिमा भी घर ले आनी चाहिए और उन्हें कपड़े से ढांक कर रखना चाहिए।
- दूसरे दिन ताजे फल और फूल लाएं और पूजन स्थल पर रख दें। कोशिश करें पूजा के लिए माता लक्ष्मी का प्रिय फूल कमल और श्री गणेश के प्रिय गेंदे के फूल जरूर लाएं। इसके साथ ही फलों में गन्ना, सीताफल, श्रीफल, बेर, अनार व सिंघाड़ा जरूर लाएं।
- पुजा में प्रसाद के तौर पर देवी लक्ष्मी को गुड़ और धनिया और श्री गणेश को बूंदी के लड्डू जरूर चढ़ाएं।
- इन सब के अलावा आपको पूजा की तैयारी में कुछ अन्य चीजों का भी ध्यान रखना चाहिए। पंडित जी बताते हैं, ‘ देवी लक्ष्मी को गाय के देसी घी का ही दीपक जलाएं। यदि आपके पास गाय का देसी घी नहीं है तो तिल का तेल इस्तेमाल करें। इससे मां लक्ष्मी को शीघ्र प्रसन्न किया जा सकता है।’
- दिवाली पूजन की चौकी सजाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि आपको चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखनी है कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रहे। इसके अलावा लक्ष्मीजी की मूर्ति को गणेशजी की मूर्ति के दाहिनी ओर रखें।
- पूजा के लिए जो नारियल आप लाए हैं उसे लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग नजर आए। साथ ही नारियल को कलश के ऊपर ही रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक होता है।

श्री गणेश पूजन विधि
- देवी लक्ष्मी की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा करें। यह बात शास्त्रों में भी लिखी है कि देवताओं में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाएगी तब ही कोई पूजा सफल होगी।
- गणेश जी की पूजा के लिए सबसे पहले आपको गणेश प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए और उसके बाद शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद गणेश जी को चंदन अर्पित करें और पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। इसके साथ ही दूर्वा और जनेउ जरूर अर्पित करें।
- इतना करने के बाद श्री गणेश को प्रसाद चढ़ाएं और उनकी आरती करें।

देवी लक्ष्मी पूजन विधि
- श्री गणेश जी के पूजन के बाद माता लक्ष्मी का पूजन करें। पहले शुद्ध जल से देवी जी को स्नान करवाएं।
- इसके बाद उन्हें लाल रंग का वस्त्र पहनाएं और सिंदूर अर्पित करें।
- इसके बाद देवी लक्ष्मी को पान और गुड़-धनिया का भोग लगाएं।
- इसके बाद देवी लक्ष्मी की आरती करें।
- कोशिश करें कि जिस स्थान पर देवी लक्ष्मी की पूजा की गई है उस स्थान पर दिवाली की रात ताला न लगाएं। साथ ही मिट्टी के चार मुंह वाले दिए को सरसों का तेल भर कर जला दें।
- इस तरह आपका दिवाली पूजा विधि-विधान के साथ पूर्ण हो जाएगी।